13 सरकारी विभागों में 840 पॉजिटिव और 40 की मौत सबसे ज्यादा 18 मौतें व 305 संक्रमित शिक्षा विभाग में

कोरोना संक्रमण में शासकीय, अर्द्ध शासकीय विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों के कंधे पर ही मरीजों की सेवा की जिम्मेदारी है। उन्होंने पूरी तन्मयता से अपना कर्तव्य निभाया और निभा रहे हैं। उन्होंने हमारी सेवा में अपनी और परिवार की चिंता नहीं की। इस दौरान कई कर्मचारी अपना काम करते हुए संक्रमित हुए। इनमें से कई कालकवलित हो गए। अब उनके परिवार बेहाल हैं। सरकार ने उनके लिए घोषणाएं तो की हैं, लेकिन मदद अब तक उन परिवारों तक नहीं पहुंची। परिवार के मुखिया के जाने के बाद परिवार में अब भविष्य की चिंता भी घुल गई है।

तीन पुलिसकर्मियों की मौत

कोरोना की दूसरी लहर में ड्यूटी के दौरान 176 पुलिसकर्मी संक्रमित हुए। इनमें तीन की मौत हो गई। जबकि शेष पुलिसकर्मी स्वस्थ हो गए। एएसपी डॉक्टर रवींद्र वर्मा ने बताया कि सिर्फ 18 पुलिसकर्मियों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। शेष का होम आइसोलेशन में ही इलाज हुआ।

नगर निगम : सबसे कठिन जिम्मेदारी, अमला पूरे समय कोरोना में जुटा रहा

नगर निगम का अमला पूरे समय कोरोना में जुटा रहा। इस दौरान दो कर्मचारियों की कोरोना से मृत्यु हो गई। करीब 25 अन्य कर्मचारी व अधिकारी संक्रमित हुए लेकिन उन्होंने कोरोना को मात दी। निगमायुक्त क्षितिज सिंघल भी संक्रमण से जूझे और कोरोना को हराया। जयसिंह राजपूत और ऐसे अन्य कर्मचारी भी कोरोना को हराने में सफल रहे। जिन दो कर्मचारियों को निगम ने खोया, वे स्थायी थे और लंबी सेवा दे चुके थे। उनकी मृत्यु से स्टाफ में भी शोक छाया।

पिता का साया उठा, दो भाई बेरोजगार

नगर निगम के जोन 6 के कर्मचारी राजू कुशवाह 5 मई को कोरोना से संक्रमित हो गए। 10 दिन प्राइवेट अस्पताल में भर्ती रहे और 10 मई को उन्होंने अंतिम सांस ली। पूर्व महापौर मीना जोनवाल कहती हैं- उन्हें जब भी कोई काम दिया उन्होंने समय पर पूरा किया। परिवार में पत्नी, दो बेटे, एक बेटी है। छोटे बेटे अजय कहते हैं कोरोना संक्रमण में हम दोनों भाई का काम छूट गया। बहन की शादी हो चुकी है लेकिन वे भी साथ ही रहते हैं। बड़े भाई की दो संतान भी है। पिता के इलाज पर 6 लाख रुपए खर्च हो गए। अभी कोई सरकारी मदद भी नहीं मिली है। परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा, यह चिंता दोनों भाइयों की है।

एक भाई पढ़ रहा, दूसरा आउटसाेर्स कर्मचारी

नगर निगम के जोन 6 में ही टाइम कीपर बहादुरसिंह की 6 मई को अचानक तबीयत बिगड़ी। 8 मई को उनकी मृत्यु हो गई। बेटा कपिल बताता है कि परिवार में मां, हम दो भाई, एक बहन है। बड़ा भाई निगम में ही आउटसोर्स में काम करता है। वह बीएड कर रहा है। उनके सामने अब परिवार के भरण-पोषण की सवाल खड़ा है। अभी निगम या सरकार से कोई मदद नहीं मिली है। अधिकारियों ने दस्तावेज जमा करवा लिए हैं।

शिक्षा विभाग : बच्चे छोटे, पत्नी हाउस वाइफ

शासकीय विद्यालय फाजलपुरा में प्राथमिक शिक्षक रामप्रसाद मालवीय परिवार को रतन एवेन्यू के नए मकान में शिफ्ट हुए अभी ज्यादा वक्त नहीं गुजरा था। बेटी श्रुति मोबाइल से सेल्फी ली थी। लॉकडाउन के बाद उनकी ड्यूटी सर्वे में लगाई। 11 अप्रैल को अचानक सांस लेने में तकलीफ हुई। 14 अप्रैल को उन्होंने अंतिम सांस ली। पत्नी रेखा मालवीय ने बताया मैं हाउस वाइफ हूं। उन्हें न तो पेंशन का लाभ मिलने वाला है न ही जीपीएफ का। ऐसे में गुजारा कैसे होगा, यह सोचकर भी सिर चकराने लगता है।

हाउसिंग बोर्ड में 15 संक्रमित हुए, जागरूकता से ठीक, कोई मौत नहीं

हाउसिंग बोर्ड में कोरोना से संक्रमण के दौरान 15 अधिकारी-कर्मचारी पॉजिटिव हुए। उन्होंने समय पर इलाज करवाया और सावधानी बरती, जिससे कोरोना को मात देने में सफल हो गए। संपदा प्रबंधक गोपाल भावसार ने रिपोर्ट आने से पहले ही खुद को होम आइसोलेट कर लिया। चिकित्सकीय परामर्श से इलाज भी शुरू करवाया। दूसरे दिन रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो कोविड सेंटर चरक अस्पताल में भर्ती हो गए। यहां पर 10 दिन तक इलाज करवाने के बाद उनके स्वास्थ्य में सुधार आया और रिपोर्ट निगेटिव आने पर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद घर पर भी क्वारेंटाइन में रहे।

Leave a Comment